Positional Trading Kaise Kare?

वित्तीय बाजारों (Financial Markets) के हमेशा बदलते परिदृश्य में ट्रेडर्स निवेश की जटिल दुनिया को नेविगेट करने और लाभ उत्पन्न करने के अवसरों की तलाश करने के लिए कई प्रकार की रणनीतियों (strategies) का प्रयोग करते हैं। उनमे से ही एक रणनीति जिसने traders के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है, Positional Trading के नाम से जानी जाती है।

इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको Positional Trading के बारे में जानकारी देंगे की Positional Trading क्या होती है, कैसे की जाती है, और आप इससे संभावित रूप से कैसे लाभान्वित हो सकते हैं। Positional Trading के fundamentals को जानकर, आप इस रणनीति की गहरी समझ हासिल कर पाएंगे और इसकी क्षमता आपको शेयर बाजार में पर्याप्त लाभ अर्जित करने में मदद करेगी।

Positional Trading Kaise Kare

What is Positional Trading?

Positional trading एक trading strategy है, जिसके तहत एक trader कुछ समय के लिए किसी स्टॉक में निवेश करता है, आमतौर पर यह समय कुछ हफ्तों, महीनो या साल तक का भी हो सकता है। हालाँकि, अधिकतर ट्रेडर्स एक साल से ही पहले अपनी position sell कर देते है, पर कभी-कभी कुछ ट्रेड्स किसी कारण से एक साल से भी ज्यादा खींच सकते है। पोजिशनल ट्रेडिंग में ट्रेडर्स द्वारा निर्धारित लक्ष्य पूरा हो जाने पर वह अपनी पोजीशन बेच देते है और लाभ कमाते है।

Positional trading, day trading या swing trading से बिलकुल ही अलग होता है। एक तरफ जहा Day Trading या Swing Trading में कम समय में बहुत कुछ खरीदना और बेचना शामिल होता है, वही पोजिशनल ट्रेडिंग में longer market trends का लाभ उठाने की कोशिश की जाती है।

समय-समय पर शेयर मार्किट में लिस्टेड किसी कंपनी, सेक्टर या फिर पूरे मार्किट में कुछ इशू आने के बाद significant price movements देखा जाता है जिससे उन स्टॉक्स की कीमतों में काफी उतर-चढ़ाव होते है। Positional Trading इन्ही उतर-चढ़ाव से लाभ प्राप्त करना होता है। एक Positional Trader इन्ही उतर-चढ़ाव को संभावित अवसरों के तौर पर देखता है और किसी एक या कई कम्पनीज पर अपना डीप रिसर्च करने के बाद निवेश करता है और मुनाफा होने पर बेच देता है।

इसके अलावा, एक पोसिशनल ट्रेडर अपनी analysis skill से किसी कंपनी को उनके शुरुवाती दिनों में पहचान लेता है, और अपनी पोजीशन बना लेता है फिर एक अच्छा खासा रिटर्न पाने के बाद उस कंपनी के शेयर्स को बेच देता है।

चलिए एक उदाहरण से समझते हैं की Positional Trading (PT) कैसे करते है?

Positional Trading Examples by Fincopanda

जैसे की आप देख सकते है Example 1 में ABC Company के share की recently value ₹1000 रुपये थी। लेकिन किसी external issue के कारण कंपनी का स्टॉक गिरकर ₹800 हो गया है।

अब आपको पता है की ABC Company एक बहुत ही अच्छी फंडामेंटल वाली कंपनी है, और आने वाले 2-3 महीने के भीतर कंपनी का stock फिर से ₹1000 की वैल्यू तक जा सकता है।

इस स्थिति में, अगर आपने ABC company के shares को buy कर लिया और 2-3 महीने बाद जब कंपनी के शेयर फिर से अपने ₹1000 की वैल्यू पर पहुँच गया तो आपने उसे sell कर दिया और प्रति शेयर ₹200 रूपये profit कमा लिया।

चलिए एक और उदाहरण से समझते हैं।

Positional Trading Examples by Fincopanda

जैसे की आप देख सकते है की Example 2 में XZY Company के share की करंट वैल्यू ₹800 रुपये है।

अब आपने XYZ कंपनी के ऊपर अपना deep analsys किया है और आपको लगता है कि आने वाले 5 से 6 महीनों के भीतर ABC company का share ₹1000 की वैल्यू तक जा सकता है।

इस स्थिति में, अगर आपने XYZ के शेयर्स को buy कर लिया और 6 महीने बाद target price hit होने पर sell कर दिया तो यह भी पोजिशनल ट्रेडिंग ही कहलायेगा।

Advantage of Positional Trading

  • अगर आप इसकी तुलना डे ट्रेडिंग या स्विंग ट्रेडिंग से करते हैं तो उनके मुकाबले में पोजिशनल ट्रेडिंग में जोखिम थोड़ा कम होता है। । डोनो ट्रेडिंग में शॉर्ट टर्म में momentum का फ़ायदा उठाकर ट्रेडिंग की जाती है जो कि काफी जोखिम भरी होती है। लेकिन PT में long term का concept आने की वजह से यह थोड़ी सी सुरक्षित हो जाती है।
  • Positional Trading के माध्यम से एक ट्रेडर के पास मार्किट में गिरावट का फायदा उठाके और major trends को capture करके बहुत ज्यादा मुनाफा कमा सकने का potential होता है। एक Positional Trader इन मेजर ट्रेंड्स का फायदा उठाके स्टॉक्स को कम कीमत पर buy करता है और ज्यादा कीमत पर sell कर देता है।
  • Positional Trading के कुछ simple rules को समझ कर आप राइट टाइम पर position बनाना, मतलब buy करना और sell करना आसानी से सिख लेते हो, और इसमें आपको कोई भी नुकशान होने की गुंजाइश बहुत ही कम होती है। अगर आपका कोई ट्रेड आपकी buying price से भी निचे के प्राइस में चला जाता है तो, भी कोई डरने की बात नहीं होती। बल्कि, आप उन स्टॉक में और भी average कर सकते है या फिर wait कर सकते है। क्युकी, यह स्टॉक जल्द ही bounce back करते है।
  • पोजीशन ट्रेडिंग के लिए फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस दोनों की मदद ली जाती है। मतलब यहां पर आप जोभी मूव लेने वाले हैं वह फुलप्रूफ होता है और यहां पर चांस भी ज्यादा होता है कि ज्यादातर ट्रेड में या ज्यादातर पोजीशन में आपको प्रॉफिट हो सकता है।
  • इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में आपको सक्रिय रूप से focus करने की जरुरत होती है लेकिन PT में आपको ज्यादा फोकस करने की जरुरत नहीं होती। साथ ही पोजिशनल ट्रेडिंग में ट्रेड भी बहुत कम होते है और इसमें पूरा-पूरा दिन खपाने की जरुरत भी नहीं पड़ती। इसे part time में करके भी एक ट्रेडर आसानी से बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकता है। एक Positional Trader को साल में 5 से 10 trade करने की ही जरुरत पड़ती है।
  • Positional Trading के लिए हम जिन shares को buy करते है वह fundamently काफी अच्छे स्टॉक्स होते है जिसके कारण इनमे volatility काफी कम होती है। जिस कारण इन stocks पर stop-loss का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। .

Disadvantage of Positional Trading

  • Positional Trading में सिर्फ फंडामेंटली स्टॉक्स या निफ़्टी 50 के स्टॉक्स में ही निवेश किया जाता है, आप किसी भी random stock या फिर अपने मनपसंद के स्टॉक में PT नहीं कर सकते। अगर आपको फिर भी निवेश करना ही है तो फिर आपको Fundamental Analsys के साथ-साथ Technical Analsys में भी काफी महारत हासिल करनी होगी।
  • Positional Trading में लंबे समय तक अपनी position को hold करना हर किसी के वश की नहीं है। यह काफी stress और anxiety से भरा हो सकता है। बाजार में कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव बनता रहता है और इन अनिश्चितताओं (uncertainties) को देखकर एक ट्रेडर काफी emotional हो सकता है क्योंकि वे sure नहीं हो पाते की वे पैसा कमाएंगे या फिर खो देंगे।
  • Positional Trading के लिए प्राय अधिक धन की जरुरत पड़ती है क्युकी, एक ट्रेडर साल में 5 से 10 ही trade कर पाता है। छोटी-छोटी अमाउंट की ट्रेडिंग करने से आपको कोई ज्यादा फायदा नहीं होगा। एक Positional Trader को कम से कम 10 लाख की जरुरत पड़ती है ताकि वह एक साथ 2 से 3 ट्रेड ले सके और साथ ही अपने पैसे को diverse भी कर सके। हालाँकि लोग सिर्फ एक लाख से सिर्फ एक स्टॉक पर भी PT करते है पर इसमें रिस्क भी काफी रहता है।
  • Positional Trading में निवेश (investment) को लंबे समय तक बनाए रखना पड़ सकता है, जिससे कारण traders की पूंजी बंध जाती है। पूंजी बंध जाने के कारण traders को अन्य निवेश अवसरों के लिए अपने पैसे का उपयोग करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि, वे पहले से ही इन long-term positions के लिए अपने धन का एक बड़ा हिस्सा प्रयोग कर चुके हैं। इसलिए, उनके पास अन्य स्टॉक्स में निवेश करने के लिए ज्यादा पैसा नहीं बचता और वे काफी अच्छी opportunities को miss कर सकते है।
  • शेयर मार्किट काफी unpredictable होता है और trends अचानक पलट भी सकते हैं या दिशा बदल सकते हैं। यदि बाजार trader की expected trend के विपरीत चला जाता है तो उससे traders को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है या फिर अपनी holding के पीरियड को बढ़ाना पड़ सकता है। कई बार तो बाजार sideways हो जाता है जिससे losses और holding period बढ़ जाता है, और PT opportunities भी काफी कम हो जाती है।
  • एक trader साल में 5 से 10 ट्रेड्स लेता है लेकिन, कई इससे भी ज्यादा ट्रेड लेते है और अपनी Position की buying और selling करते रहते है। जब आप Frequent buying और selling करते हो तो यह आपके transaction costs को बढ़ाता है। जिससे स्टॉक एक्सचेंज, आपके ब्रोकर और सरकार को देने वाले commissions, fees, और tax में बढ़त होती है जो की आपके potential profits को कम कर सकता है।

Positional Trading कब करें?

Share Market में समय-समय पर कई अवसर आते है जब आप PT की तकनीको का प्रयोग करके 12.50% से 50% तक का profit आसानी से कमा सकते है। जिनमे मुख्यत है…

  • Share Market Crash
  • Sector Crash or Growth Potential
  • 52-Week High or Breakout Stock
  • 52-Week Low Stocks
  • Nifty 50 Rebalancing
  • Corporate Actions

इन Trends के बारे में आप निचे संक्षेप में पढ़ सकते है।

Share Market Crash

जब Share Market Crash होता है, तो यह सबसे उत्तम अवसर होता है, स्टॉक्स खरीदने का और PT करके मुनाफा कमाने का। जब Share Market Crash होता है तो शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट होती है जिसके कारण सभी स्टॉक्स की कीमतें नीचे आ जाती हैं और यह कम कीमत पर शेयर खरीदने और अधिक कीमत पर बेचने यानि PT करने का सबसे सही मौका होता है।

शेयर बाजार में गिरावट की स्थिति में, आप कई short-term और long-term स्टॉक्स खरीद सकते हैं और बाजार में फिर से तेजी आने पर उन स्टॉक्स को बेच सकते है या फिर लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड कर सकते है। बिगिनर निवेशक PT की बेसिक जानकारी के साथ भी Share Market Crash के वक्त PT कर सकते है।

Positional Trading - Nifty 50
  • अगर आप Nifty 50 का 2020 का Market Crash देखे तो यह टोटल 34.56% का crash था, जोकि अगले 6 महीने में recover होकर 47.58% तक बढ़ गया था। ऐसे में जिन निवेशकों ने निफ़्टी 50 के स्टॉक्स में PT की होगी उनका मुनाफा भी उसी के आस-पास हो गया होगा ।
  • जिन्होंने अपनी PT को 9 months तक hold रखा था उनका प्रॉफिट 84.62% तक बढ़ गया।
  • वही, जिन ट्रेडर्स ने 18 months तक अपनी PT को hold करके रखा होगा उनका प्रॉफिट 124% तक बढ़ गया होगा।

Sector Crash or Growth Potential

जब किसी Sector में crash होता है तो यह भी अवसर होता है PT करने का। हालाँकि, यह भी Share Market Crash की तरह ही है पर इसमें Share Market Crash की तरह पूरे शेयर बाजार में क्रैश नहीं होता बल्कि, किसी एक sector में crash होता है और उस सेक्टर से जुडी सभी कम्पनीज के स्टॉक्स में गिरावट होती है जैसे की 2018 से ऑटो सेक्टर में हुवा था।

अधिकतर, जब पूरा शेयर मार्किट एवरेज या अच्छा परफॉरमेंस कर रहा हो पर किसी एक सेक्टर में गिरावट हो तो यह गिरावट Govt Policies के कारण हो सकता है। उसी की विपरीत, Govt Policies किसी एक sector में rally भी ला सकती है। जोकी अभी के वक्त में इलेक्ट्रिक वाहन और ऑटो कंपोनेंट्स, डिफेंस सेक्टर, ड्रोन सेक्टर में देखा जा सकता है।

एक शुरुवाती निवेशक को sector crash के समय निवेश करने से बचना चाहिए, क्युकी इसमें आपको अपनी PT को काफी लम्बे समय के लिए होल्ड करना पढ़ सकता है। वही अगर किसी sector में positive trends मिलते है तो वहाँ पर वे अपनी पोजीशन बना सकते है।

Positional Trading - Nifty Auto
  • अगर आप Nifty Auto का chart देखे तो 2018 की government policy के बाद ऑटो सेक्टर में गिरावट होना शुरू हो गई थी जो की साल 2020 तक चलती रही। लेकिन पिछले तीन साल में ऑटो सेक्टर्स में भी अच्छी-खासी बढ़त आ चुकी है जो की मुख्य तौर पर Electirc Vechiles का परिणाम है।
  • जिन निवेशकों ने इस मूवमेंट को पहले से ही भाफ लिया वे इन Auto Companies पर अपनी पोजीशन बनाकर बैठ गए और सिर्फ 10 months में 150% तक का profit कमा डाला। हालाँकि, individual stocks में यह दर थोड़ी कम या ज्यादा हो सकती है, पर ओवरआल देखे तो Auto sectors की अधिकतर कम्पनीज ने काफी positivity दिखाई है, खास तौर पर Tata Motors और Olectra Greentech जैसी कम्पनीज ने।

Nifty 50 Rebalancing

निफ़्टी 50 साल में दो बार re-balance हो सकता है, यानि की पुराने स्टॉक बाहर किये जाते है और नई स्टॉक्स को ऐड किया जाता है। जिन स्टॉक्स को निफ़्टी 50 में ऐड किया जाता है उनमे भी जबरदस्त ग्रोथ आ सकती है। एक पोजीशन ट्रेडर उन स्टॉक्स को जिन्हे निफ़्टी 50 में ऐड करने लिए के नॉमिनेट किया जाता है उनमे से most possible एक-दो या सभी स्टॉक्स में अपने पोजीशन बना लेते है।

REBALANCE nifty 50 stocks

उदाहरण के तौर पर मान लीजिये की…

निफ़्टी 50 के लिए 3 स्टॉक्स (A,B,C) nominate किये गए है। ऐसे में एक ट्रेडर तीनो स्टॉक्स में अपनी पोजीशन बना सकता है। अगर स्टॉक (A) को Nifty 50 में add किया जाता है तो उस स्टॉक के प्राइस में अच्छी ग्रोथ आ सकती है और ट्रेडर काफी अच्छा मुनाफा कमा सकता है।

बाकि बचे 2 स्टॉक्स, क्युकी वह भी निफ़्टी 50 के लिए नॉमिनेट किये गए थे, यानि की वह सभी भी फ़ण्डामेंटली काफी अच्छे स्टॉक्स है इसलिए उनमे भी पाजिटिविटी बनी रह सकती है। लेकिन फिर भी निफ़्टी 50 में सेलेक्ट न होने के कारण इस स्टॉक्स में कुछ गिरावट भी हो गई तो भी कोई डर की बात नहीं क्युकी, ये स्टॉक्स जल्द ही फिर से बढ़त बना लेंगे और जब भी आप इन स्टॉक्स को बेचोगे यह आपकी बाइंग प्राइस से ऊपर से ही बिकेगा।

हाल ही में HDFC Bank और HDFC Limited के merger के बाद HDFC Limited का stock delist हो गया है और LTI-Mindtree की Nifty 50 में entry हो गई है। जिसके कारण PT करने के लिए LTI-Mindtree में काफी सुनहरा अवसर है।

52-Week High or Breakout Stock

जब कोई stock breakout के करीब होता है या 52-week high पर कारोबार कर रहा होता है यह भी PT करने की opportunity देता है, क्युकी स्टॉक में rally आ सकती है। हालाँकि, ऐसे समय पर PT करने के लिए technical knowledge का होना बहुत जरुरी है, और ट्रेडर को चार्ट पैटर्न, ट्रेंडलाइन और key support and resistance levels का विश्लेषण करना आना चाहिए।

Positional Trading - 52 WEEK High

साथ ही Moving averages, Relative Strength Index (RSI), और MACD जैसे Technical indicators के बारे में जानकारी जरुरी है। इस तरह की PT भी नए निवेशकों के लिए नहीं है क्युकी इसमें टेक्निकल की नॉलेज होना बहुत जरुरी है, साथ ही यह कन्फर्म करना भी जरुरी है की यह ब्रेकआउट real breakout है या फिर false breakout.

52-Week Low Stock

Fundamentally strong stock जब अपने 52-week के निचले स्तर पर चल रहा हो तो वह भी अच्छा मौका होता है पोजीशन बनाने का। लेकिन पोजीशन बनाने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि स्टॉक के 52-week low पर आने के क्या कारण हैं।

अगर internal issue के कारण स्टॉक में गिरावट आई है तो ऐसे स्टॉक में पोजीशन बनाने से बचे। वही अगर reason externally है या फिर वित्तीय परिणाम अच्छे नहीं आए पर sales में बढ़ोतरी है तो डरने की कोई बात नहीं। ऐसे स्टॉक में पोजीशन बनाई जा सकती है। हालात जैसे ही सुधरेंगे कंपनी के मुनाफे में भी सुधार होगा और फिर से कंपनी का स्टॉक अपने ऊंचे स्तर पर होगा।

Corportare Actions in a Company

कंपनी में टाइम-टाइम पर कई corportare action होते है जैसे की…

  1. Rights Issue
  2. Buyback
  3. Stock Split (Tender Offer Route)
  4. Bonus
  5. Dividend
corporate actions in stock market
  • Right Issue में कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को कंपनी के अतिरिक्त shares को discount पर लेने का विकल्प प्रदान करती है।
  • Buyback में कंपनी के promoters मौजूदा शेयरधारकों से कंपनी के shares को वापस खरीदते हैं और बदले में उन्हें काफी अच्छी कीमत प्रदान करते है।
  • Stock Split में कंपनी के shares को कंपनी द्वारा घोषित अनुपात में विभाजित (devide) किया जाता है।
  • Bonus में कंपनी द्वारा अपने शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयर निःशुल्क जारी किए जाते हैं।
  • वही Dividend में कंपनी के द्वारा अपने शेयरधारकों को इनाम के रूप में नकद लाभांश जारी किया जाता है।

किसी कंपनी में PT खास तौर पर तब की जाती है जब कंपनी अपने Shareholders के लिए Bonus Issue करती है, Stock Split करती है, या Tender Offer Route के माध्यम से Buyback करती है। ऐसे वक्त में कंपनी के स्टॉक में काफी अच्छी बढ़त आ सकती है।

जब कंपनी में इस तरह के corportare actions के लिए AGM meeting होती है और जब कंपनी इसके लिए approve कर देती है तो स्टॉक में काफी अच्छी बढ़त हो जाती है, और जिन ट्रेडर्स ने पहले से ही अपनी पोजीशन बना रखी थी वह काफी अच्छा प्रॉफिट कमा लेता है। वही अगर इसके विपरीत किसी कारण से यह रिजेक्ट हो जाती है तो स्टॉक्स में गिरावट आ जाती है, पर इसमें भी कोई डर की बात नहीं होती क्युकी स्टॉक फ़ण्डामेंटली स्ट्रांग होते है और जल्द ही न केवल यह recover कर लेते है बल्कि कुछ months में यह स्टॉक अपनी बाइंग से भी हाई पर ही आ जाते है।

Golden Rules of Positional Trading?

वैसे तो शेयर मार्किट के दो ही main rules है।

Rule No. 1: Never lose money.
Rule No. 2: Never forget rule No. 1.

जिसके लिए आपको Positional Trading के 2 Golden Rules को फॉलो करना पड़ेगा। अगर आप इन Golden Rules को फॉलो करके Positional Trading करोगे तो, कभी भी अपना पैसा loose नहीं करोगों, साथ ही अच्छा खासा प्रॉफिट भी कमा लोगो। और Positional Trading के ये 2 Golden Rules है की…

  1. शेयर Fundamentally Strong होना चाहिए
  2. Long Term Hold करना आना चाहिए

#Positional Trading का पहला Golden Rule यह है की आप जिस भी stock में PT करे वह stock fundamentally strong होना चाहिए और अगर बिलकुल ही safe चलना हो तो सिर्फ निफ़्टी 50 के top 10-20 कम्पनीज में ही Positional Trading करे। क्युकी अगर आप साल में 10 ट्रेड लेते हो तो उसमे से आपके कई ट्रेड फेल हो सकते है।

ऐसे में अगर आपका स्टॉक fundamentally strong होगा तो वह जल्द ही बाउंस बैक करेगा और जल्द ही आपकी बाइंग प्राइस से भी ऊपर बढ़ जायेगा दो-तीन महीने एक्स्ट्रा लग सकते है पर आपका पैसा कभी भी loose नहीं जायेगा। वही अगर आपका स्टॉक fundamentally weak होगा तो आपको काफी loss हो सकता है। इसलिए PT करने के लिए हमेशा fundamentally strong stocks को ही चुने।

#Positional Trading का दूसरा Golden Rule यह है की आपकी मेंटालिटी long term hold करने की होनी चाहिए। जैसे की हमने ऊपर बात की है, की जरुरी नहीं की आपके हर ट्रेड सफल हो, आपके कुछ ट्रेड फेल भी हो सकते है। ऐसे में आपको अपने उन फेल स्टॉक्स को थोड़ा ज्यादा होल्ड करके रखना पड़ सकता है। आपके कुछ ट्रेड इतने फेल हो सकते है की आपको उन्हें साल भर भी होल्ड करके रखना पड़ सकता है।

शेयर बाजार में काफी उतर चढ़ाव चलता रहता है, जिससे आप काफी emotional या stressful हो सकते है, और हो सकता है की आप डर के मारे अपनी उस position को loss में ही बेच दे। वही अगर आपकी मेंटालिटी long term है तो आप उन्हें लम्बे समय के लिए होल्ड कर पाओगे और स्टॉक रिकवर होने पर बेच पाओगे।

How to do Positional Trading?

एक beginner level का investor मुख्यत दो तरह की basic strategy को अपना कर Positional Trading कर सकता है, और वह है..

  • Positional Trading on Major Support and Resistance with Lumpsum
  • Positional Trading on Stock Fall or Crash with Buy on Dip

Positional Trading on Major Support and Resistance

Positional Trading on Major Support and Resistance में आपको सिर्फ उन्ही कम्पनीज में PT करना है जिसका चार्ट लगातार अपने Support और Resistance के बिच ही movement कर रहा हो।

समझने के लिए आप निचे के example से देख सकते है.

support and resistance - positional trading - buy and sell

ABC Company जो की लगातार अपने support price ₹50 और resistance price ₹100 के बिच में ही मूवमेंट कर रही है।

जैसी ही ABC Company फिर से अपने support price ₹50 या उसके करीब आता है तो trader उसमे lumpsum amount निवेश कर देता है, और जैसे ही कंपनी अपने resistance price ₹100 के करीब पहुंच जाती है तो sell कर देता है और काफी अच्छा profit कमा लेता है।

फिर ABC Company में किसी बढ़िया news के कारण brekout आ जाता है, और कंपनी कुछ वक्त तक ऊपर जाने के बाद फिर से निचे आना शुरू हो जाता है, और फिर से ऊपर-निचे आते हुए sideways move करता रहता है।

इस बार ₹100 जो की पहले स्टॉक के लिए Resistance बना हुआ था, अब वह Support बन जाता है, और इस तरह ABC Company का stock उप-डाउन करते हुए एक नया Support and Resistance (₹100 – ₹150) बना लेता है, और उसी के आसपास मूव करता है।

अब जब ABC Company अपने new support price ₹100 के करीब आता है तो trader उसमे फिर से lumpsum amount निवेश कर देता है, और जैसे ही कंपनी अपने new resistance price ₹150 के करीब पहुंच जाती है तो sell कर देता है और फिर से अच्छा-खाशा profit कमा लेता है।

Positional Trading on Stock Fall or Crash with Buy on Dip

जब आपको किसी स्टॉक में अवसर मिल रहा है Positional Trading करने का, तो सबसे पहले आपको उस स्टॉक की अब तक की History देखनी है और यह देखना है की उस शेयर का अब तक का Highest Crash कितना था, यानि की अपनी लिस्टिंग से लेकर अब तक वह स्टॉक maximum कितना गिरा है। वैसे देखा जाये तो 2008 और 2020 covid में share market सबसे ज्यादा Crash हुवा था और स्टॉक्स में सबसे ज्यादा गिरावट इन्ही दो साल में हुई थी।

समझने के लिए आप निचे के example से देख सकते है की..

XYZ company के stock में अब तक की सबसे ज्यादा गिरावट 50% हुई थी, जो की साल 2008 में हुई थी। इसलिए हम 2008 के हिसाब से PT करेंगे, लेकिन अगर आप चाहे तो 2020 में हुई गिरावट के हिसाब से भी PT कर सकते है।

अब मान लीजिये की XYZ Company की करंट शेयर प्राइस ₹2000 है और इसमें फिर से गिरावट की सम्भावना है। क्युकी, कंपनी का स्टॉक पहले 50% तक गिर चूका था, अभी भी हम वही assume करेंगे की स्टॉक फिर से 50% तक गिर सकता है। जब स्टॉक में गिरावट शुरू हो जाये तो हमें ₹2000 से ₹1000 के बिच में buy करना है और हर 50 से 100 पॉइंट की गिरावट पर एक fixed amount invest करना है। आप अपना buy on dip target 5% to 10% की गिरावट पर भी कर सकते है।

Note: स्टॉक इतना गिरेगा की नहीं यह market condition पर निर्भर करता है, हमें तो बस Buy on Dip करना है। अगर हमें पता होता की स्टॉक कितना गिरेगा तो हम लास्ट में lumpsum invest करके buy कर लेते। परन्तु, किसी को नहीं पता की कोई स्टॉक कितना गिरेगा इसलिए buy on dip करके अपने stock को average किया जाता है।

Note: निचे किये गए calculations में थोड़ा सा अंतर (differentiate) हो सकता है, जो की नाम मात्र का ही है।

Buy on Dip - Positional Trading Main
  • स्टॉक के प्राइस में जब 100 पॉइंट्स (2000-100=1900) की गिरावट हो तो स्टॉक में एंट्री करे और ₹10000 का investment करे।
  • फिर से जब स्टॉक में 100 पॉइंट्स (1900-100=1800) की और गिरावट हो तो और ₹10000 की दूसरी buying करे।
  • फिर another 100 points (1800-100=1700) की और गिरावट पर ₹10000 की तीसरी buying करे।
  • ऐसे करते-करते 10 times हर 100 points की गिरावट पर ₹10000 का निवेश करे।
  • इस तरह 10 टाइम्स buy on dip करते-करते आपकी average buying price ₹1387 per share हो जाएगी और उस वक्त शेयर की वैल्यू ₹1000 per share हो गई होगी।
  • क्युकी, स्टॉक फ़ण्डामेंटली काफी स्ट्रांग है इसलिए वह अगले तीन से छह महीने में बाउंस बैक कर लेता है और शेयर की वैल्यू ₹1836 per share हो जाती है।
  • अगर आप per share ₹1836 की वैल्यू पर अपने सभी स्टॉक्स sell कर देते हो तो आपको 32.34% का total प्रॉफिट होगा।

Buying in more aggressive way…

अगर आप अपनी buying average price और P&L percentage के gap को कम करना चाहते है तो आपको more aggresive way से खरीदना होगा, जिसके लिए आपको और ज्यादा अमाउंट की जरुरत पड़ेगी।

इस बार आपको हर buying पर more ₹5000 के अमाउंट को बढ़ा देना है यानि की…

  • ₹10,000 (1st Buying)
  • ₹15,000 (2nd Buying)
  • ₹20,000 (3rd Buying)
  • ऐसे ही हर buying पर ₹5000 extra invest करते हुए आपकी दसवीं buying ₹55000 तक पहुँच जाएगी।

निचे दिए गए table में आप details check कर सकते है।

  • Market Price: ₹2,000
  • 52 Week High: ₹2,300
Buy on DipInvestmentQuantity
₹1,900₹9,5005
₹1,800₹14,4008
₹1,700₹20,40012
₹1,600₹24,00015
₹1,500₹30,00020
₹1,400₹35,00025
₹1,300₹40,30031
₹1,200₹45,60038
₹1,100₹49,50045
₹1,000₹55,00055
  • जब हम अपनी position बना चुके होंगे तो उस वक्त stock -50% down हो चूका होगा लेकिन हर dip पर इस method से buying करने पर हमारी position सिर्फ -22% ही down होगी।
  • Last traded price ₹1000 होगी और हमारी buying average price ₹1,274
  • हमारे पास टोटल 254 shares होंगे जिसके लिए हमने ₹323,596 का निवेश किया था।
  • क्युकी, स्टॉक फ़ण्डामेंटली काफी स्ट्रांग है इसलिए वह अगले तीन से छह महीने में बाउंस बैक कर लेता है और per share value ₹1,836 (1836 x 254 = ₹466,344) तक पहुँच जाती है, और हम उसी price में अपनी position sell कर देते है, और इस तरह हमें total (₹466,344 – ₹323,596 = ₹142,748) का profit होता है।

More Buying on Dip and Averaging Methods

किसी stock को buy करना फिर average करना भले ही आसान लगता हो पर यह इतना आसान नहीं है। उसके लिए भी आपके पास एक proper method होना चाहिए। किसी stock को average इसलिए किया जाता है ताकि अपने buying price को जितना हो सके Current Market Price (CMP) के नजदीक ही रखा जा सके ताकि, loss को जितना हो सके उतना minimize किया जा सके, और जब उस stock में bounce back आये तो और भी बेहतर रिटर्न मिले।

वैसे तो averaging के कई methods है, लेकिन हम सिर्फ 4 तरीको के बारे में यहाँ पर बताएँगे। इन basics से advanced 4 levels में से किसी भी method को अपनाकर आप अपने stock में averging कर सकते है, और अपनी position को current market price के जितना हो सके उतनी नजदीक रख सकते है। साथ ही, अगर आप इन methods में कुछ modificition करना चाहे या अपना फिर अपना ही कोई methos बनाना चाहे तो वह भी बना सकते है।

चलिए उन 4 methods के बारे में जानते है, जिनकी चर्चा मै कर रहा था, और उन methods के नाम इस प्रकार से है…

  1. Buying and Averaging on the Same Quantity
  2. Buying and Averaging on Ascending Order
  3. Buying and Averaging on Double Quantity
  4. Buying and Averaging on Previous Qty. x 2

चारो methods के बारे में आप निचे detail से read कर सकते हो…

Buying and Averaging on the Same Quantity

FallPriceQty.Investment
10%₹2,0701₹2,070
20%₹1,8401₹1,840
30%₹1,6101₹1,610
35%₹1,4951₹1,495
40%₹1,3801₹1,380
45%₹1,2651₹1,265
50%₹1,1501₹1,150
  • Averaging on the Same Quantity में हमको हर बार एक जैसी quantity खरीदनी है। हालाँकि, ऊपर दिए गए Table में सिर्फ 1 quantity दर्शाई गई है, पर यह quantity 10 भी हो सकती है, और 100 भी। हालाँकि, इससे प्राइस एवरेज में कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्युकी, हर बार use की गई quantity same है।
  • Stock -50% down हो चूका होगा लेकिन हर dip पर same quantity buy करने पर हमारी position सिर्फ -25.53% ही डाउन होगी।
  • Buying की शुरुवात ₹2,070 से शुरू हुई थी, और लास्ट buying तक last traded price: ₹1150 था और हमारी average price: ₹1,544
  • हमारे पास अब टोटल 7 शेयर है जिसके लिए हमने ₹10810 का निवेश किया था।
  • तीन से छह महीने के बाद per share value ₹1,836 (1836 x 7 = 12852) तक पहुँच जाती है, और हम उसी price में अपनी position sell कर देते है, और इस तरह हमें total (12852 – 10810 = ₹2,042) यानि 18.89% का profit होता है।

Buying and Averaging in Ascending Order

FallPriceQty.Investment
10%₹2,0701₹2,070
20%₹1,8402₹3,680
30%₹1,6103₹4,830
35%₹1,4954₹5,980
40%₹1,3805₹6,900
45%₹1,2656₹7,590
50%₹1,1507₹8,050
  • Buying and Averaging in Ascending Order में हमको हर बार ascending order में buying करनी है। जरुरी नहीं की हम सिर्फ 10% के फॉल पर ही buy करे या सिर्फ 7 times buying करे। हम हर 5% के fall पर भी buying कर सकते है, और 10 to 20 times averaging कर सकते है।
  • Stock -50% down हो चूका होगा लेकिन हर dip पर ascending order पर buying करने पर हमारी position सिर्फ -17.65% ही down होगी।
  • Buying की शुरुवात ₹2,070 से शुरू हुई थी, और लास्ट buying तक last traded price: ₹1150 था और हमारी average price: ₹1,396
  • हमारे पास अब टोटल 28 शेयर है जिसके लिए हमने ₹39,100 का निवेश किया था।
  • तीन से छह महीने के बाद per share value ₹1,836 (1836 x 28 = ₹51,408) तक पहुँच जाती है, और हम उसी price में अपनी position sell कर देते है, और इस तरह हमें total (51,408 – 39,100 = ₹12,308) यानि 31.48% का profit होता है।

Buying and Averaging in Double Quantity

FallPriceQty.Investment
10%₹2,0701₹2,070
20%₹1,8402₹3,680
30%₹1,6104₹6,440
35%₹1,4958₹11,960
40%₹1,38016₹22,080
45%₹1,26532₹40,480
50%₹1,15064₹73,600
  • Buying and Averaging on Double Quantity में हमको हर बार पिछली बाइंग से दुगने शेयर्स खरीदने है।
  • जब हम अपनी position बना चुके होंगे तो उस वक्त stock -50% down हो चूका होगा लेकिन हर dip पर double quantity buying करने पर हमारी position सिर्फ -8.90% ही down होगी।
  • Buying की शुरुवात ₹2,070 से शुरू हुई थी, और लास्ट buying तक last traded price: ₹1150 था और हमारी average price: ₹1,262
  • हमारे पास अब टोटल 127 शेयर है जिसके लिए हमने ₹160,310 का निवेश किया था।
  • तीन से छह महीने के बाद per share value ₹1,836 (1836 x 127 = ₹233,172) तक पहुँच जाती है, और हम उसी price में अपनी position sell कर देते है, और इस तरह हमें total (233,172 – 160,310 = ₹72,862) यानि 45.45% का profit होता है।

Buying and Averaging on Previous Qty. x 2

FallPriceQty.Investment
10%₹2,0701₹2,070
20%₹1,8402₹3,680
30%₹1,6106₹9,660
35%₹1,49518₹26,910
40%₹1,38054₹74,520
45%₹1,265162₹204,930
50%₹1,150486₹558,900
  • Buying and Averaging on Previous Qty. x 2 में हमको हर बार पिछली सभी बाइंग शेयर्स का 2x यानि दुगने शेयर्स खरीदने है। यानि की अगर हमने 1st buying मे 1 stock ख़रीदा है, और 2nd buying में 2 stocks ख़रीदे है तो 3rd buying में हमें (1+2)x2 = 6 shares खरीदने है। और 4th buying में (1+2+6)x2 = 18 shares खरीदने है। ऐसे करके आप 5 to 10 times buying कर सकते है।
  • और जब हम अपनी position बना चुके होंगे तो उस वक्त stock -50% down हो चूका होगा लेकिन हर dip पर इस method से buying करने पर हमारी position सिर्फ -4.81% ही down होगी।
  • Buying की शुरुवात ₹2,070 से शुरू हुई थी, और लास्ट buying तक last traded price: ₹1150 था और हमारी average price: ₹1,208
  • हमारे पास अब टोटल 729 शेयर है जिसके लिए हमने ₹880,670 का निवेश किया था।
  • तीन से छह महीने के बाद per share value ₹1,836 (1836×729=1,338,444) तक पहुँच जाती है, और हम उसी price में अपनी position sell कर देते है, और इस तरह हमें total (1,338,444-880,670=₹457,774) यानि 51.98% का profit होता है।

10+ Best Stocks for Positional Trading (Strong Fundamentals Stocks)

एक गलत चुनाव आपके पैसे डुबो सकता है, इसलिए PT के लिए जिन भी स्टॉक्स को चुने, हमेशा ध्यान रखे की वह फ़ण्डामेंटली स्ट्रांग हो। अगर आप एक बिगिनर हो और PT करना चाहते है और confused है की किन stocks को चुने, तो आप सिर्फ Nifty 50 के stocks ही चुने और वह भी टॉप 10 और 20 में से।

वैसे, निचे कुछ stocks के नाम दिए गए है जिनमे हम PT करना पसंद करते है, और अधिकतर stocks Nifty 50 का हिस्सा है।

Positional Trading में Lumpsum करे या Buy on Dip

यह निर्भर करता है की आप किस trend में buy कर रहे है।

उदहारण के तौर पर: अगर आप ABC company पर पोसिशनल ट्रेडिंग कर रहे है और ABC company का chart sideways चल रहा है तो आप lumpsum निवेश कर सकते है। जब भी ABC company अपने major support पर पहुंचे तो आप उसमे buy कर सकते है।

पर ध्यान रहे की आपकी कंपनी निफ़्टी 50 की top 10 -20 companies में से ही होनी चाहिए, और अगर निफ़्टी 50 का हिस्सा नहीं है तो जिस भी स्टॉक में आप PT कर रहे हो वह fundamentally strong company होनी चाहिए, ताकि अगर आपकी PT fail भी हुई तो उससे कोई ज्यादा फर्क न पड़े क्युकी fundamentally strong company फिर से बाउंस बैक करती है।

वही अगर आप XYZ company पर पोसिशनल ट्रेडिंग कर रहे है और XYZ company जो की फ़ण्डामेंटली स्ट्रांग है और निचे आ रही है तो आप हर 50 या 100 पॉइंट निचे आने पर या हर 5% से 10% निचे आये तो XYZ company पर buy on dip या average कर सकते है।

Points to be Remember (याद रखने योग्य बातें)

  • हमेशा Fundamentally Strong Shares ही खरीदें।
  • Buy Positions as you are holding them for a long time.
  • अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें और केवल उन्हीं shares को खरीदें जिन पर आप confident हैं।
  • Trend को पहचानें फिर खरीदें न कि खुद ही ट्रेंड बना कर खरीदें।
  • Sideways stock को हमेशा major support पर ही ख़रीदे और resistance पर बीच दे।

Position Trading FAQ

क्या Position Trading Risky है?

अन्य प्रकार की ट्रेडिंग से Position Trading की तुलना करे तो यह अधिक लाभदायक है और कम रिस्की है, लेकिन एक बात कभी नहीं भूलनी चाहिए की सफलता की कोई गारंटी नहीं होती है।

क्या Positional Trading Profitable है?

अगर Position Trading के गोल्डन रूल्स को फॉलो करके PT करे तो यह हमें काफी प्रॉफिट दे सकता है।

Position Trading के Golden Rules क्या है?

हमेशा फ़ण्डामेंटली स्ट्रांग स्टॉक में ही अपनी पोजीशन बनाये और अपना फोकस लॉन्ग टर्म रखे।

क्या Position Trading Beginners के लिए अच्छी है?

पोजीशन ट्रेडिंग उन बिगिनर्स के लिए उपयुक्त है, जो less time-intensive trading approach को पसंद करते हैं और long term investment का mindset रखते हैं।

Day Trading और Positional Trading में क्या Difference है?

डे ट्रेडर्स आमतौर पर एक दिन के भीतर buy और sell करते हैं, जबकि पोसिशनल ट्रेडर्स अपने स्टोक्स को कई दिनों, हफ्ते और महीने तक होल्ड करके रख सकते है।

Positional Trading कितने समय के लिए होता है?

पोजीशन ट्रेडिंग एक पॉपुलर लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जो ट्रेडर्स को लंबी अवधि के लिए अपनी पोजीशन बनाए रखने की अनुमति देती है, जो की आमतौर पर कई दिनों, महीनों और वर्षों की हो सकती है।

Positional Trading और Investing के बीच क्या Difference है?

पोजीशन ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि पोजीशन ट्रेडर अपनी पोजीशन को कम या ज्यादा समय के लिए होल्ड करके रख सकते हैं। दूसरी ओर, एक निवेशक सिर्फ लॉन्ग टर्म के लिए ही किसी स्टॉक में निवेश करता है। पोजीशन ट्रेडर की पोजीशन मार्किट ट्रेंड के ऊपर कुछ हद तक निर्भर कर सकती है, पर ट्रेडर को मार्किट ट्रेंड से कोई फर्क नहीं पड़ता।

Position Trading का क्या Advantages है?

चूंकि, पोजीशन ट्रेड एक लंबी अवधि के लिए किया जाने वाला trade हैं, इसलिए short term trades की तुलना में इसमें बड़े मुनाफे की ज्यादा संभावना रहती है।

Position Trading का क्या Disadvantages है?

पोसिशनल ट्रेडिंग का सबसे बड़ा disadvantage यह है इसमें ट्रेड करने के लिए अधिक पूंजी की जरुरत पड़ती है। साथ ही आपकी पूंजी ट्रेडिंग टाइमलाइन के लिए लॉक हो जाती है, जो कई हफ्तों और महीनो तक चल सकती है। कई बार तो जब आपकी पोजीशन फेल हो जाती है तो आपकी पूंजी सालो तक भी लॉक हो सकती है।

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