अपर सर्किट और लोअर सर्किट क्या होता हैं | What is Upper Circuit and Lower Circuit in Hindi?

What is Upper Circuit and Lower Circuit in Hindi
What is Upper Circuit and Lower Circuit in Hindi

हैलो दोस्तों आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पोस्ट में जिसमे आज हम आपको Upper Circuit and Lower Circuit के बारे में बतायंगे। अगर आपके मन में भी स्टॉक मार्किट में होने वाले अपर सर्किट या लोअर सर्किट को लेकर कुछ confusion है तो आप इस लेख को जरूर पढियेगा, इसे पढ़ने के बाद आपकी सारी confusion दूर हो जाएगी और आप इस अपर और लोअर सर्किट के concept को पूरा तरह समझ जायेंगे।

Table of Contents

स्टॉक मार्किट में सर्किट क्या होता है – What is Circuit in Stock Market?

इंडियन स्टॉक मार्किट में CIRCUIT को आप पहले से ही निर्धारित की गई एक limit कह सकते है, जिसे किसी स्टॉक के प्राइस मूवमेंट को कण्ट्रोल करने के लिए अपनाया जाता है। जब किसी स्टॉक की कीमत अपनी पूर्वनिर्धारित लिमिट के नज़दीक पहुँच जाती है तो यह एक सर्किट ब्रेकर को ट्रिगर करता है, जिसके कारण उस स्टॉक में कुछ समय के लिए या फिर पूरे दिन के लिए ट्रेडिंग (buying और selling) बंद हो जाती है। इसी ससपेंड या बंद होने की प्रक्रिया को ही हम CIRCUIT कहते है।

किसी स्टॉक में सर्किट क्यों लगता हैं?

जब किसी स्टॉक में अचानक लगातार खरीदारी या बिकवाली बढ़ जाती है और वह स्टॉक अपने उस दिन के न्यूनतम और अधिकतम प्राइस लिमिट को हिट कर जाता है तो सर्किट ट्रिगर हो जाता है इस तरह उस स्टॉक में सर्किट लग जाता है।

अपर सर्किट क्या होता हैं – What is Upper Circuit?

जब स्टॉक की demand बहुत बढ़ जाती है पर supply बिलकुल भी नहीं होती, यानि की सब लोग सिर्फ स्टॉक खरीदने में लगे होते है पर बेचने वाला कोई नहीं होता, और स्टॉक उस दिन के अपने maximum price limit तक पहुँच जाता है तो सर्किट ट्रिगर हो जाता और Upper Circuit लग जाता है।

अपर सर्किट को ट्रिगर करने वाले कारण

  • अगर पूरे दिन भर में धीरे-धीरे buying होती है और शेयर मार्किट बंद होने से पहले ही stock अपनी उस दिन की maximum limit पर पहुंच जाता है तो उसमे upper circuit लग जाता है।
  • अगर किसी stock में तेज़ी से buying शुरू हो जाती है तो यह मार्किट खुलने के कुछ minutes में ही अपनी मैक्सिमम लिमिट को touch कर लेता है और upper circuit लग जाता है।
  • जब किसी स्टॉक में असामान्य गतिविधि, जैसे की बड़ी मात्रा में buying orders लग जाते है तो इसमें तोह मार्किट खुलने से पहले ही सर्किट ट्रिगर हो जाता है और upper circuit लग जाता है।
  • कुछ महत्वपूर्ण समाचार या घटनाएं, जैसे कमाई की घोषणा या कंपनी का विस्तार इत्यादि स्टॉक की कीमतों में तेजी से वृद्धि और upper circuit को ट्रिगर कर सकती हैं।
  • Excessive market speculation या manipulation भी upper circuit को ट्रिगर कर सकते हैं, क्योंकि सेबी इस तरह की गतिविधियों को बाजार की स्थिरता और निवेशक सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देख सकते हैं।

लोअर सर्किट क्या होता हैं- What is Lower Circuit?

जब स्टॉक की demand बिलकुल नहीं होती, पर supply बहुत ज्यादा होती है, यानि की जब सब लोग अपने स्टॉक को बेचने में लगे हुए होते है, पर खरीदने वाला कोई नहीं होता, और स्टॉक उस दिन के अपने minimum price limit तक गिर जाता है तो इसमें Lower Circuit लग जाता है।

लोअर सर्किट को ट्रिगर करने वाले कारण

  • अगर पूरे दिन भर में धीरे-धीरे selling होती है और शेयर मार्किट बंद होने से पहले ही stock अपनी उस दिन की minimum limit तक गिर जाता है तो उसमे lower circuit लग जाता है।
  • अगर किसी stock में panic selling शुरू हो जाती है तो यह मार्किट खुलने के कुछ minutes में ही अपनी minimum limit को touch कर लेता है और lower circuit लग जाता है।
  • जब किसी स्टॉक में असामान्य गतिविधि, जैसे की बड़ी मात्रा में selling orders लग जाते है तो इसमें तोह मार्किट खुलने से पहले ही सर्किट ट्रिगर हो जाता है और lower circuit लग जाता है।
  • कुछ महत्वपूर्ण समाचार या घटनाएं, जैसे major earnings miss, रेगुलेटरी एक्शन, कंपनी में फ्रॉड इत्यादि भी स्टॉक की कीमतों में तेजी से गिरावट और lower circuit को ट्रिगर कर सकती हैं।
  • Events, जैसे कि natural disaster या geopolitical crisis, pandemic, inflation स्टॉक की कीमतों में तेजी से गिरावट और निचले सर्किट को ट्रिगर कर सकती हैं।

स्टॉक मार्किट में सर्किट क्यों लगाया जाता है – When is Circuit used?

Circuit का उपयोग शेयर बाजार में स्टॉक के price movement को प्रतिबंधित करने के लिए किया जाता है। इन circuit filters का उद्देश्य बाजार में आई excessive volatility को रोकना और निवेशकों के द्वारा किसी भी प्रकार की excess buying या panic seling को control करना है।

सर्किट के द्वारा मार्किट की volatility को रोका जाता है ताकि मार्किट में स्थिरता प्रदान की जा सके, जिससे बाजार में किसी भी तरह की हेरफेर (market manipulation) या अन्य प्रकार के व्यापारिक दुरुपयोग (trading abuses) के जोखिम को कम करने में मदद मिलती हैं। यह सर्किट, किसी स्टॉक में होने वाले तेजी से मूल्य परिवर्तन के कारण निवेशकों को होने वाले sudden and significant losses से भी बचाता है।

क्या सभी तरह के स्टॉक्स में सर्किट लगता है?

नहीं, सभी तरह के स्टॉक्स में circuit नहीं लगता है खासतौर पर F&O (Futures & Options) में ट्रेड होने वाले शेयर्स, क्युकी इन स्टॉक्स में किसी तरह का प्राइस कैप या फिक्स्ड सर्किट लिमिट नहीं होता है। इन स्टॉक्स में अगर कोई असामान्य गतिविधि (unusual activity) होती है तो उसको रोकने के लिए सेबी इसे अस्थायी तौर पर फ्रिज (temporary fridge) कर देती है। हालाँकि लोग F&O (Futures & Options) में अस्थायी तौर पर फ्रिज की इस प्रक्रिया को भी सर्किट के नाम से ही पुकारते है।

स्टॉक मार्किट में Circuit कौन तय करता हैं?

सर्किट ब्रेकर्स को Securities and Exchange Board of India (SEBI) के द्वारा तय किया जाता है। SEBI एक नियामक संस्था (regulatory body) है जो मार्किट में होने वाली गतिविधिओ की देखरेख करता है। सेबी एक निष्पक्ष और व्यवस्थित बाजार सुनिश्चित करने के लिए और मार्किट पर नजर रखने के लिए सर्किट ब्रेकरों के माध्यम से कुछ नियम और दिशानिर्देश निर्धारित करता है। यह सर्किट स्टॉक में मार्केट में होने वाली वोलेटिलिटी को ध्यान में रखकर या फिर किसी स्टॉक में कोई unusual activity को रोकने के प्रयास से तय किए जाते हैं।

क्या हम सर्किट लगने पर खरीद बेच सकते है – Can we buy or sell in Upper and Lower Circuit?

अपर सर्किट वाले शेयर्स में केवल खरीदार होते हैं, कोई विक्रेता नहीं होता हैं, इसलिए अगर कोई उस समय अपने शेयर्स को बेचना चाहते है तो बेच सकते है लेकिन खरीद नहीं सकता। उसी के विपरीत जब लोअर सर्किट लगा हो, तो बाजार में केवल विक्रेता होते हैं, कोई खरीदार नहीं होता, ऐसे में अगर आप शेयर्स खरीदना चाहते हो तो आसानी से खरीद सकते है पर बेच नहीं सकते।

Upper Circuit में कैसे Buy करे और Lower Circuit में sell करे?

नार्मल मार्किट में तो आप Upper Circuit में Buy नहीं कर सकते, न ही Lower Circuit में sell कर सकते हो। लेकिन मार्किट बंद होने के बाद आप आफ्टर मार्किट आर्डर (AMO) लगा कर अपना लक जरूर ट्राई कर सकते हो। जिसके लिए आपको अपने ब्रोकर के Aplication में जाकर AMO लगाना है, और एक अमाउंट तय करना है, जिसमे आप अपने शेयर्स को बेचना या खरीदना चाहते है, बस याद रहे की जो अमाउंट आपने फीड किया है वह सर्किट लिमिट के भीतर का अमाउंट ही होना चाहिए। हालाँकि, गार्रेंटी नहीं ही की आपका आर्डर हिट हो लेकिन आप फिर भी प्रयास कर सकते है क्या पता आपका लक लग जाये।

सर्किट की डेली लिमिट क्या हैं?

हर किसी स्टॉक के लिए एक जैसी लिमिट नहीं है। एक स्टॉक, अपनी श्रेणी के आधार पर, किसी भी कारोबारी दिन पर 5 प्रतिशत, 10 प्रतिशत या 20 प्रतिशत बढ़ या गिर सकता है। यानि की अगर कोई stock जिसका प्राइस अपने previous day ₹100 रुपये था और इस स्टॉक की circuit triger लिमिट 5% है तोह जैसे ही इस स्टॉक का प्राइस 105 हो जायेगा इसमें upper circuit लग जायेगा वैसे ही अगर इसकी वैल्यू ₹95 हो जाएगी तो इसमें lower circuit लग जायेगा।

किसी भी शेयर की Circuit limit कैसे पता करे?

किसी भी स्टॉक के circuit triger limit को जानने के लिए आप BSE और NSE की वेबसाइट में जाकर या फिर अपने ब्रोकर के APP में उस स्टॉक को सर्च कर उसके प्राइस रेंज को जान सकते है।

ट्रेडिंग रुकने की अवधि समाप्त होने के बाद क्या होता है?

F&O स्टॉक्स में ट्रेडिंग रुकने की अवधि समाप्त होने के बाद, शेयरों की ट्रेडिंग (buying and selling) आम तौर पर फिर से शुरू हो जाती है। यह स्वचालित (automatically) रूप से हो सकता है, या एक्सचेंज के द्वारा मैन्युअली ट्रेड को फिर से खोलना चुना जा सकता है। एक बार ट्रेड फिर से शुरू हो जाने पर, आप किसी स्टॉक में खरीद और बिक्री को जारी रख सकते है। लेकिन F&O स्टॉक्स के मुकाबले नार्मल इक्विटी स्टॉक में सर्किट खुलने के चांस कम ही होते है, और आप अगले दिन ही उसमे किसी तरह की ट्रेडिंग कर पाते है।

निष्कर्ष

अगर देखा जाये तो सर्किट निवेशकों की भलाई के लिए ही होता है ताकि मार्किट में किसी तरह के manuplation को रोक सके। हालाँकि, शार्ट टर्म वालो और ट्रेडर्स के लिए ये मुसीबत बन सकती है खासकर जो अपना स्टॉकस बेचना चाहते है पर लगातार सर्किट लगने के कारण बेच नहीं पाते। अगर आप लॉन्ग टर्म के निवेशक है तो आपको डरने की कोई आवश्यकता नहीं है क्युकी लॉन्ग टर्म में तो स्टॉक ऊपर ही ऊपर बढ़ता जायेगा बस कंडीशन एक ही है की आपने एक फ़ण्डामेंटली गुड कंपनी में निवेश किया हो।

Upper Circuit and Lower Circuit FAQ

शेयर मार्किट में सर्किट कितने तरह के होते है?

दो तरह के अपर सर्किट एंड लोअर सर्किट।

शेयर मार्किट में अपर सर्किट क्या होता है?

जब हर कोई किसी स्टॉक के शेयर्स को खरदने में लगे होते है पर बेचने वाला कोई नहीं होता तो उसमे अपर सर्किट लग जाता है।

शेयर मार्किट में लोअर पर सर्किट क्या होता है?

जब हर कोई किसी स्टॉक के शेयर्स को बेचने में लगे होते है पर खरीदने वाला कोई नहीं होता तो उसमे लोअर सर्किट लग जाता है।

क्या होता है जब स्टॉक सर्किट ट्रिगर हिट करता है?

एक बार सर्किट ट्रिगर होने के बाद उस स्टॉक में ट्रेडिंग (buying and selling) बंद हो जाती है।

भारतीय शेयर बाजार में सर्किट का शुरुवात कब हुई?

भारतीय शेयर बाजार में सर्किट का इस्तेमाल पहली बार साल 2004 में हुआ था।

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