जब निवेश करके मुनाफा कमाने की बात आती है तो शेयर मार्किट सबसे बेहतर है, और ऐसे अनेको लोग है जिन्होंने शेयर मार्किट से जबरदस्त वेल्थ बनाई है। हालाँकि, ऐसे सफल लोगो की तुलना में मार्किट में पैसा गवाने वाले लोगो की संख्या ज्यादा है, क्युकी अधिकतर लोग बिना सोचे समझे किसी भी कंपनी में पैसा लगा देते है। और अगर किसी अच्छी कंपनी में पैसा लगा भी दिया तो, जब कंपनी का प्राइस निचे आना शुरू हो जाता है तो डर कर उस शेयर को लोस में बेच देते है। वो उन कारणों को समझने की जरुरत नहीं समझते जिसके कारण कंपनी के शेयर में या फिर पूरे शेयर बाजार में बढ़त या गिरावट हो रही है।
हालाँकि इसमें कोई शक नहीं है की शेयर मार्किट से पैसा बनाया जा सकता है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है की, आप उससे मुनाफा कमाओगे ही, क्युकी शेयर मार्किट से पैसा कमाने के लिए अच्छी समझ के साथ अपने इमोशन पर भी कंट्रोल होना चाहिए क्युकी, शेयर मार्किट पूरी तरह से unpredictable है, और किसी खबर का मार्किट में क्या असर हो जाये कहा नहीं जा सकता, पर इसे समझ कर इसके लिए तैयार रहा जा सकता है।
वैसे तो बहुत से कारण है, जो शेयर्स की कीमतों को प्रभवित कर सकते है, लेकिन सबसे मेन कारण हो सकता है किसी कंपनी का अच्छा या बूरा प्रदर्शन। अच्छे प्रदर्शन जहा उसकी कीमत को ऊपर ले जायेगा, वही बूरा प्रदर्शन उसे निचे ले जायेगा। इस लेख में आज हम आपको ऐसे कई कारणों को बारे में बताएँगे जो किसी एक शेयर, सेक्टर या पूरे शेयर मार्किट के शेयर्स की कीमतों को प्रभावित कर सकते है।
Company Performance
किसी कंपनी के शेयर्स की कीमत को प्रभवित करने में सबसे मुख्य कारण कंपनी का परफॉरमेंस हो सकता है। अगर कंपनी के फाइनेंसियल नतीजे बहुत अच्छे है, और मार्किट में कंपनी के बारे में सकारात्मक का माहौल है, तो उस कंपनी के शेयर्स की मांग में वृद्धि हो सकती है, जिससे कारण शेयर की कीमत बढ़ सकती है। उसी के विपरीत, अगर कंपनी का प्रदर्शन बूरा रहा है, कंपनी के managment में कुछ प्रॉब्लम है, या कंपनी से सम्बंधित नकारात्मक बाते या खबर फैली हुई है, तो इसके उस शेयर की मांग में कमी आ सकती है, जिसके कारण शेयर की कीमत में गिरावट हो सकती है।
Demand and Supply
किसी स्टॉक के डिमांड और सप्लाई के आधार पर भी शेयर की कीमत प्रभावित हो सकती है। जब किसी स्टॉक की डिमांड बढ़ जाती है, तो स्टॉक की कीमत में वृद्धि हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्युकी उस स्टॉक को खरीदने वालों की संख्या बढ़ जाती है, और ये खरीदार उस स्टॉक को हासिल करने के लिए अधिक भुगतान करने को भी तैयार रहते है। अब क्युकी इन स्टॉक्स की संख्या लिमिटिड है पर इन्हे खरीदने वालो की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे कारण लगातार उस शेयर की कीमत बढ़ती रहती है।
इसके विपरीत, जब किसी शेयर की मांग कम होती है, तो कीमत गिर जाती है, क्योंकि उस वक्त buyers कम होते है, और sellers अपने शेयर्स को जल्दी से निपटान के लिए कम कीमतों पर भी बेचने को तैयार होते हैं, जिसके कारण उस शेयर की कीमत घटती जाती है।
Investor Sentiment
Investor sentiment यानि की निवेशक की भावना, से मतलब यह है की निवेशक किसी कंपनी या फिर पूरे शेयर बाजार के बारे में कैसा महसूस कर रहे है। यदि निवेशक किसी कंपनी को लेकर आशावादी है और सकारात्मक भावनाएँ रखते हैं, तो वे उस स्टॉक को खरीदने के इच्छुक हो सकते हैं, जिससे शेयरों की मांग में वृद्धि हो सकती है, और इस बढ़ी हुई मांग के कारण उस शेयर की कीमतें बढ़ सकती हैं। दूसरी ओर, यदि निवेशक उस शेयर के प्रति निराशावादी हैं और नकारात्मक भावनाएँ रखते हैं, तो इससे स्टॉक की कीमत नीचे जा सकती है।
वैसे ही अगर निवेशक पूरे शेयर बाजार को लेकर पॉजिटिव है तो वह शेयर बाजार में और निवेश करते है, जो पूरे शेयर बाजार को ऊपर की और ले जाता है। और अगर निवेशकों को लगता है की अभी मार्किट में रहना ठीक नहीं है तो वे अपने पैसे को मार्किट से निकलना शुरू कर देते है, जो पूरे शेयर बाजार को निचे की और ले जाता है।
Economic Conditions
किसी कंपनी का प्रदर्शन सिर्फ उस कंपनी के शेयर प्राइस को प्रभावित करता है, पर देश की आर्थिक स्थिति पूरे शेयर बाजार को प्रभावित कर सकती है। जब किसी देश की अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही होती है, तो लोगों के पास पैसा भी अधिक होता है, ऐसे में लोगो की पर्चेजिंग पावर बढ़ जाती है, और लोग ज्यादा खर्चा करते है, जिससे देश में चल रही छोटी से बड़ी कोम्पनिओ के रेवेनुए में बढ़त होती है।
साथ ही लोगो के पास पैसो की बढ़त होने के कारण वह शेयर बाजार में भी निवेश करते है, जिससे शेयर बाजार में लिक्विडिटी बढ़ जाती है। अतः ऐसे अच्छे economic condition में कम्पनीज के रेवेनुए बढ़ने और लोगो के शेयर मार्किट में निवेश करने से शेयर्स की कीमतें बढ़ जाती हैं।
इसके विपरीत, जब अर्थव्यवस्था बुरी हो या आर्थिक मंदी चल रही हो तो goods और services की कीमते बढ़ जाती है, और लोगो की पर्चेजिंग पावर घट जाती है। लोग अपने पैसे को होल्ड करने लग जाते है, साथ ही शेयर मार्किट से अपना पैसा निकाल कर किसी अन्य सुरक्षित संपत्तियों में निवेश करना शुरू कर देते है, जिससे स्टॉक की कीमतें गिर सकती हैं।
Interest Rates
ब्याज दरों का घटना-बढ़ना भी शेयर बाजार को प्रभावित कर सकता है। जब ब्याज दरें कम होती हैं तो बैंको से पैसा उधार लेना काफी सस्ता हो जाता है, जिसके कारण लोग बैंक्स से लोन लेकर शेयर बाजार में लगा देते है जिससे शेयर बाजार में लिक्विडिटी बढ़ जाती है और स्टॉक्स की कीमतों में वृद्धि हो जाती है। इसके विपरीत, जब ब्याज दरें बढ़ जाती हैं, तो बैंक्स से पैसा उधार लेना अधिक महंगा हो जाता है, जिससे शेयर बाजार में निवेश में कमी आ जाती है।
इसके अलावा, कंपनियां अपने व्यापर को बढ़ाने और अन्य नए अवसरों में निवेश करने के लिए जो धन उधार लेती थी, अब ब्याज दरें बढ़ जाने के कारण कंपनियों के लिए पैसा उधार लेना और ज्यादा महंगा हो जाता है जिससे कंपनी की ग्रोथ में कुछ वक्त के लिए ब्रेक लग जाता है। इसके अतिरिक्त, ऐसी कंपनियां जिन्होंने पहले से ही ज्यादा ऋण ले रखा है, उन्हें अपने ऋण का भुगतान करने के लिए काफी संघर्ष करना पढ़ सकता हैं, जिससे उनके स्टॉक की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
Political and Regulatory Changes
सरकार के द्वारा समय-समय पर कुछ नई नीतियों को लाया जाता है, और साथ ही कुछ पुराने नियमों में परिवर्तन किया जाता है। ये नीतिया किसी एक कंपनी, सेक्टर या फिर पूरे शेयर मार्किट को सकारात्मक (positively) और नकारात्मक (negatively) कैसे भी प्रभवित कर सकती है, और निवेशक इन परिवर्तनों की बारीकियों के आधार पर अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया दे सकते हैं। नतीजतन शेयर बाजार में या फिर एक कंपनी या सेक्टर से सम्बंधित सभी कम्पनीज के शेयर्स में उछाल या गिरावट आ सकती है।
उदाहरण के तौर पर आप ऐसे समझ सकते है की जब साल 2016 में भारत सरकार ने देश में 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए थे तो शेयर मार्किट पर इसका काफी बूरा प्रभाव पढ़ा था खासतौर पर रिटेल सेक्टर पर। कई कंपनियां, खासकर वे जो नकदी का इस्तेमाल करती थीं, उन्होने अपने ग्राहकों को खो दिया क्योंकि लोगों के पास पर्याप्त पैसा नहीं था। लेकिन इस विमुद्रीकरण (Demonetization) के कारण पेटीएम और फोनपे जैसी डिजिटल पेमेंट कंपनियां ज्यादा लोकप्रिय हो गई क्योंकि लोगों ने कैश की जगह डिजिटल मनी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था।
मतलब विमुद्रीकरण का असर तो पूरे बाजार में पड़ा, लेकिन रिटेल सेक्टर में इसका ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ा, और उस से सम्बंधित सभी कम्पनीज के शेयर्स गिर गए, वही डिजिटल पेमेंट से सम्बंधित काम करने वाली कोई कंपनी अगर शेयर बाजार में लिस्टेड थी तो उनके शेयर्स में बढ़त हो गई।
Natural Disasters and Pandemic
प्राकृतिक आपदाये जैसे की भयंकर भूकंप, सुनामी और महामारी भी शेयर मार्किट को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है। ऐसे समय में कई बिज़नेस ठप्प हो जाते है, देश में डर का माहौल बन जाता है, और लोगो के पास पैसो की किल्लत भी हो जाती है, और कोविड-19 उसका एक बेहतरीन उदहारण है की कैसे पूरे विशव के शेयर बाजार कुछ ही महीने में धराशाई हो गए थे।
Conclusion:
शेयर मार्किट एक ऐसी जगह है जहाँ पर हम किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर्स को खरीदते और बेचते है, और पैसे बनाते है। हालाँकि ऐसे कई कारण है, जो बाजार में किसी शेयर्स की सप्लाई और डिमांड को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे शेयर्स की कीमतो में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
जब कोई शेयर अचानक घटता या बढ़ता है तो, ना तो हमें डर कर उसे बेचना चाहिए, ना ही लालच में आकर खरीदना चाहिये। सबसे पहले हमें उन कारणों का पता करना चाहिये जिसके कारण स्टॉक की कीमतों में असर आया है।
एक अच्छा निवेशक हमेशा उन कारणों को समझने का प्रयास करता है जिसके कारण किसी स्टॉक में बढ़त या गिरावट आयी हो। इन कारणों को समझकर एक निवेशक को, शेयर बाजार में निवेश करते समय उचित निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।